Headlines

भिलाई में परम पूज्य गणिनी, आर्यिका रत्न 105 सौभाग्यमती माताजी का भव्य पिच्छिका परिवर्तन समारोह का हुआ आयोजन, देशभर से जैन धर्मालंबी हुए शामिल

Spread the love


भिलाई |भारत गौरव, प्रज्ञाश्रमणी प. पू. गणिनी, आर्यिका रत्न 105 सौभाग्यमती माताजी का भव्य पिच्छिका परिवर्तन समारोह रविवार को लोकांगन, खंडेलवाल जैन भवन के सामने, वैशाली नगर भिलाई में आयोजित किया गया , जिसमें विधायक प्रतिनिधि आलोक जैन, वरिष्ठ नेता अरविंद जैन,कजोड़मल जैन, किशोर कुमार जैन, राकेश जैन, हरीश जैन, प्रमोद जैन, देवेंद्र जैन, निर्मल जैन, राजू जैन, अमरेश जैन, सुधीर जैन एवं बड़ी संख्या में कई जैन धर्मावलंबी बंधु शामिल हुए।

बतौर अतिथि विधायक रिकेश सेन हुए शामिल

कार्यक्रम में बतौर अतिथि वैशाली नगर विधानसभा के विधायक रिकेश सेन भी शामिल हुए, उन्होंने कहा कि जैन समाज अपने समाज के बच्चे को अच्छा संस्कार देते हैं,दुनिया की कई सभ्यताएं नष्ट हो गई लेकिन भारत ने अपना रास्ता खोज ही लिया. हमारी संस्कृति को हमे बचाना होगा, हमारी युवा पीढ़ी को हमे अपने धर्म और संस्कृति के बारे में बताना होगा ।


क्या है पिच्छिका परिवर्तन


दिगंबर जैन साधु के पास तीन उपकरण के अलावा और कुछ भी नहीं होता। पिच्छिका, कमंडल और शास्त्र इन तीन उपकरणों के माध्यम से ही वे अपनी जीवन भर साधना करते रहते हैं, संयमोपकरण जिसे पिच्छिका कहते हैं, यह पिच्छिका मोर पंखों से निर्मित होती है, मोर स्वत: ही इन पंखों को वर्ष में तीन बार छोड़ते हैं उन्हीं छोड़े हुए पंखों को इकट्‌ठा करके श्रावकगण पिच्छिका का निर्माण करते हैं, पिच्छिका के माध्यम से मुनिराज अपने संयम का पालन करते हैं जब कहीं यह उठते हैं, बैठते हैं तब उस समय जमीन एवं शरीर का पिच्छिका के माध्यम से परिमार्जन कर लेते हैं, ताकि जो आंखों से दिखाई नहीं देते ऐसे जीवों का घात न हो सके। यह पिच्छिका उस समय भी उपयोग करते हैं जब शास्त्र या कमंडल को रखना या उठाना हो। जहां शास्त्र या कमंडल रखना हो वहां पर जमीन पर सूक्ष्म जीव रहते हैं जिन्हें हम आखों से नहीं देख सकते, तो पिच्छिका से उन जीवों का परिमार्जन कर दिया जाता है, ताकि उन्हें किसी प्रकार का कष्ट न पहुंचे। यह पिच्छिका इतनी मृदु होती है कि इसके पंख आंख के ऊपर स्पर्श किए जाएं तो वह आंखों में नहीं चुभते और जब इन पंखों में लगभग एक साल के भीतर यह मृदुता कम होने लगती है तो इस पिच्छिका को बदल लिया जाता है। इस कार्यक्रम को पिच्छिका परिवर्तन के नाम से जाना जाता है ।


Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *