बस्तर । बस्तर राजघराने में गुरुवार 20 फरवरी को ऐतिहासिक क्षण देखने को मिला। 107 साल बाद गद्दी पर आसीन किसी राजा के विवाह की बारात राजमहल से रवाना हुई। राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री केदार कश्यप और बस्तर के सांसद महेश कश्यप ने राजमहल में पहुंचकर राज परिवार को बधाई दी। बस्तर के महाराजा कमलचंद्र भंजदेव का विवाह मध्यप्रदेश के किला नागौद राजघराने की राजकुमारी भुवनेश्वरी कुमारी के साथ 20 फरवरी को परिणय सूत्र में बंध गये। इस शाही विवाह में देशभर के 100 से अधिक राजघरानों के सदस्य और गणमान्य अतिथि शामिल हुए।

पांच पीढ़ियों बाद बस्तर राजमहल में शाही विवाह की शहनाई गुंजायमान हुई। बस्तर राजघराने में आखिरी विवाह वर्ष 1918 में महाराजा रुद्रप्रताप देव की हुआ था। इसके बाद राजगद्दी पर बैठे किसी भी राजा का विवाह बस्तर राजमहल में नहीं हुआ। महाराजा प्रवीरचंद्र भंजदेव का विवाह 1961 में दिल्ली में, विजय चंद्र भंजदेव का विवाह 1954 में गुजरात में और भरतचंद्र भंजदेव का विवाह भी गुजरात में हुआ था। अब पांच पीढ़ियों के बाद पहली बार बस्तर राजमहल में इतिहास को दोहराते हुए शाही शादी का आयोजन हो रहा है। यह समारोह न केवल बस्तर बल्कि पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण आयोजन बन गया।

107 साल बाद राजमहल से शाही बारात निकली। वर बने कमलचंद्र भंजदेव हाथी पर सवार होकर नगर में निकले। उनके पीछे ऊंट, घोड़े और बाराती बनकर बस्तरवासी चल रहे थे। गुरुवार को बारात राजमहल से एयरपोर्ट तक निकली। इसके बाद चार्टर्ड प्लेन से नागौद पहुंची। बारात के लिए तीन विशेष चार्टर्ड प्लेन बुक किए गए थे, जो बारातियों को लेकर मध्यप्रदेश के नागौद स्थित एयरपोर्ट तक पहुंचे।